नई दिल्ली। आयुर्वेद में कुछ ऐसी औषधियां बताई गई हैं, जो अनेक रोगों पर एक साथ असर करती हैं। इन्हीं में से एक है चंद्रप्रभा वटी, जिसे प्राचीन ग्रंथों चरक संहिता और भैषज्य रत्नावली में भी अमृत समान बताया गया है।
यह औषधि शरीर को शीतलता, स्फूर्ति और ऊर्जा देने के साथ-साथ मूत्र विकार, डायबिटीज, हार्मोनल असंतुलन, त्वचा और पाचन संबंधी रोगों में विशेष रूप से लाभकारी है।
चंद्रप्रभा वटी लगभग 37 जड़ी-बूटियों और खनिजों से बनती है, जिनमें गुग्गुलु, शिलाजीत, त्रिकटु (सोंठ, पिप्पली, काली मिर्च), त्रिफला, हल्दी, गिलोय, विदंग, चित्रक, दालचीनी और इलायची जैसी औषधियां शामिल हैं। ये मिलकर शरीर को विषमुक्त करती हैं और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती हैं।
मूत्र संबंधी परेशानियों जैसे बार-बार पेशाब आना, जलन या संक्रमण में यह अत्यंत प्रभावी है। गुग्गुलु और शिलाजीत मूत्र मार्ग की सूजन को कम करते हैं, जिससे किडनी और ब्लैडर की सफाई होती है।
डायबिटीज के रोगियों के लिए यह औषधि उपयोगी है, क्योंकि यह रक्त में शुगर स्तर को नियंत्रित करती है और पाचन तंत्र को मजबूत बनाती है।
महिलाओं में हार्मोनल असंतुलन, पीसीओडी और अनियमित माहवारी जैसी समस्याओं में यह सहायक सिद्ध होती है।
यह खून को साफ कर त्वचा को निखार देती है और मुंहासे, झाइयां तथा दाग-धब्बों को कम करती है। इसके साथ ही यह पाचन सुधारती है, गैस और एसिडिटी दूर करती है तथा थकान और तनाव को कम करती है।
