नई दिल्ली । मानव शरीर की संरचना में रीढ़ की हड्डी (स्पाइनल कॉलम) सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा मानी जाती है। यह न केवल शरीर को सीधा खड़े रहने में मदद करती है, बल्कि संतुलन बनाए रखने और दिमाग से शरीर के विभिन्न अंगों तक संदेश पहुंचाने का भी काम करती है।
रीढ़ की हड्डी कुल 33 कशेरुकाओं (वर्टिब्रा) से मिलकर बनी होती है, हालांकि कुछ लोगों में इनकी संख्या में मामूली अंतर हो सकता है। भ्रूण अवस्था में ये अधिक होती हैं, लेकिन विकास के दौरान आपस में जुड़कर एक ठोस संरचना बना लेती हैं।
हर कशेरुका की अपनी भूमिका होती है — गर्दन की हड्डियां सिर को घुमाने और झुकाने की क्षमता देती हैं, जबकि कमर की हड्डियां पूरे शरीर का भार संभालती हैं।
कशेरुकाओं के बीच मौजूद इंटरवर्टिब्रल डिस्क एक तरह के शॉक एब्जॉर्बर की तरह काम करती हैं, जो झटकों को सहकर रीढ़ को सुरक्षित रखती हैं। यही कारण है कि सुबह व्यक्ति की लंबाई रात की तुलना में लगभग 1–2 सेंटीमीटर अधिक होती है।
रीढ़ के भीतर स्पाइनल कॉर्ड सुरक्षित रहता है, जो मस्तिष्क से निकलने वाली 31 जोड़ी नसों को शरीर के विभिन्न हिस्सों से जोड़ता है। उम्र बढ़ने पर डिस्क का तरल घटने से लचीलापन कम होता है और कठोरता बढ़ जाती है।
रीढ़ की सेहत के लिए नियमित योगासन जैसे भुजंगासन, ताड़ासन, त्रिकोणासन, प्राणायाम, संतुलित आहार (दूध, तिल, आंवला), सही बैठने की मुद्रा, और तेल मालिश बेहद लाभदायक मानी जाती है।
सुबह की धूप और हल्की स्ट्रेचिंग से रीढ़ की मजबूती और लचीलापन दोनों बनाए रखे जा सकते हैं।
